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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 1: सृष्टि
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अध्याय 9: भगवान् कृष्ण की उपस्थिति में भीष्मदेव का देह-त्याग
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श्लोक 12
श्लोक
1.9.12
अहो कष्टमहोऽन्याय्यं यद्यूयं धर्मनन्दना: ।
जीवितुं नार्हथ क्लिष्टं विप्रधर्माच्युताश्रया: ॥ १२ ॥
अनुवाद
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भीष्मदेव ने कहा: अरे, धर्म के साक्षात् पुत्र होते हुए भी तुमने कितनी यातनाएँ और कितना अन्याय सहा है! उन कष्टों में तुम्हारा जीवित रहना असंभव था, फिर भी ब्राह्मणों, ईश्वर और धर्म ने तुम्हारी रक्षा की है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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