श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 8: महारानी कुन्ती द्वारा प्रार्थना तथा परीक्षित की रक्षा  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  1.8.7 
 
 
आमन्‍त्र्य पाण्डुपुत्रांश्च शैनेयोद्धवसंयुत: ।
द्वैपायनादिभिर्विप्रै: पूजितै: प्रतिपूजित: ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  इसी बीच, भगवान श्रीकृष्ण सात्यकी और उद्धव समेत अपनी प्रस्थान की तैयारी करने लगे। श्रील व्यासदेव और अन्य ब्राह्मणों ने उनकी पूजा की, और उसके बाद उन्होंने पाण्डु-पुत्रों को आमंत्रित किया। भगवान ने उन सभी का समुचित अभिवादन किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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