आमन्त्र्य पाण्डुपुत्रांश्च शैनेयोद्धवसंयुत: ।
द्वैपायनादिभिर्विप्रै: पूजितै: प्रतिपूजित: ॥ ७ ॥
अनुवाद
इसी बीच, भगवान श्रीकृष्ण सात्यकी और उद्धव समेत अपनी प्रस्थान की तैयारी करने लगे। श्रील व्यासदेव और अन्य ब्राह्मणों ने उनकी पूजा की, और उसके बाद उन्होंने पाण्डु-पुत्रों को आमंत्रित किया। भगवान ने उन सभी का समुचित अभिवादन किया।