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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 1: सृष्टि
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अध्याय 8: महारानी कुन्ती द्वारा प्रार्थना तथा परीक्षित की रक्षा
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श्लोक 12
श्लोक
1.8.12
तर्ह्येवाथ मुनिश्रेष्ठ पाण्डवा: पञ्च सायकान् ।
आत्मनोऽभिमुखान्दीप्तानालक्ष्यास्त्राण्युपाददु: ॥ १२ ॥
अनुवाद
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हे श्रेष्ठ विचारकों में श्रेष्ठ (शौनक मुनि), उग्र ब्रह्मास्त्र को अपनी ओर बढ़ता देख, पाँचों पांडवों ने अपने-अपने पाँच हथियार उठाए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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