श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 7: द्रोण-पुत्र को दण्ड  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  1.7.51 
 
 
तत्राहामर्षितो भीमस्तस्य श्रेयान् वध: स्मृत: ।
न भर्तुर्नात्मनश्चार्थे योऽहन् सुप्तान् शिशून् वृथा ॥ ५१ ॥
 
अनुवाद
 
  लेकिन भीम, जो क्रोधित मानसिकता में था, उनसे सहमत नहीं हुआ और उसने उस दोषी के वध किये जाने की सिफ़ारिश की, जिसने व्यर्थ ही सोते हुए बच्चों की हत्या कर दी थी जिसमें न तो उसका अपना, न ही उसके स्वामी का कोई हित था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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