धर्म के सिद्धान्तों को जानने वाला व्यक्ति ऐसे शत्रु का वध नहीं करता जो असावधान, मादक द्रव्यो के सेवन से उन्मत्त, पागल, सो रहा हो, भयभीत हो या जिसका रथ नष्ट हो गया हो। वह किसी बालक, स्त्री, मूर्ख प्राणी या आत्मसमर्पण करने वाले प्राणी का भी वध नहीं करता है।