श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 7: द्रोण-पुत्र को दण्ड  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  1.7.28 
 
 
न ह्यस्यान्यतमं किञ्चिदस्त्रं प्रत्यवकर्शनम् ।
जह्यस्त्रतेज उन्नद्धमस्त्रज्ञो ह्यस्त्रतेजसा ॥ २८ ॥
 
अनुवाद
 
  हे अर्जुन, केवल एक और ब्रह्मास्त्र ही इस अस्त्र का मुकाबला कर सकता है। चूंकि तुम युद्ध विद्या में निपुण हो, इसीलिए अपने अस्त्र की ताकत से इस अस्त्र की तेजस्विता को कम करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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