श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 7: द्रोण-पुत्र को दण्ड  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  1.7.23 
 
 
त्वमाद्य: पुरुष: साक्षादीश्वर: प्रकृते: पर: ।
मायां व्युदस्य चिच्छक्त्या कैवल्ये स्थित आत्मनि ॥ २३ ॥
 
अनुवाद
 
  आप मूल भगवान हैं जो समस्त सृष्टियों में अपना विस्तार करते हैं और आप भौतिक ऊर्जा से परे हैं। आपने अपनी आध्यात्मिक शक्ति के बल से भौतिक ऊर्जा के सभी प्रभावों को दूर कर दिया है। आप हमेशा शाश्वत आनंद और दिव्य ज्ञान में स्थित रहते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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