श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 1: सृष्टि » अध्याय 7: द्रोण-पुत्र को दण्ड » श्लोक 21 |
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| | श्लोक 1.7.21  | |  | | तत: प्रादुष्कृतं तेज: प्रचण्डं सर्वतोदिशम् ।
प्राणापदमभिप्रेक्ष्य विष्णुं जिष्णुरुवाच ह ॥ २१ ॥ | | अनुवाद | | तदनंतर चारों ओर चमकदार प्रकाश फैल गया। यह इतना तेज था कि अर्जुन ने अपने प्राणों को खतरे में समझा और वे भगवान श्रीकृष्ण से कहने लगे। | |
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