परीक्षितोऽथ राजर्षेर्जन्मकर्मविलापनम् ।
संस्थां च पाण्डुपुत्राणां वक्ष्ये कृष्णकथोदयम् ॥ १२ ॥
अनुवाद
सूत गोस्वामी ने शौनक आदि ऋषियों से कहा : अब मैं भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य कथा तथा राजऋषि परीक्षित महाराज के जन्म, उनकी गतिविधियाँ और मोक्ष विषयक बातें और पाण्डुपुत्रों द्वारा गृहस्थ जीवन का त्याग करने की कथाएँ कहने जा रहा हूँ।