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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 1: सृष्टि
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अध्याय 6: नारद तथा व्यासदेव का संवाद
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श्लोक 36
श्लोक
1.6.36
सर्वं तदिदमाख्यातं यत्पृष्टोऽहं त्वयानघ ।
जन्मकर्मरहस्यं मे भवतश्चात्मतोषणम् ॥ ३६ ॥
अनुवाद
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हे व्यासदेव, तुम समस्त पापों से मुक्त हो। जिस प्रकार तुमने पूछा था, वैसा ही मैंने अपने जन्म और आत्म-साक्षात्कार के लिए किये गये सभी कार्यों का विवरण दिया है। यह सब तुमहारे आत्म-संतोष के लिए भी लाभदायक होगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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