वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 1: सृष्टि
»
अध्याय 6: नारद तथा व्यासदेव का संवाद
»
श्लोक 21
श्लोक
1.6.21
हन्तास्मिञ्जन्मनि भवान्मा मां द्रष्टुमिहार्हति ।
अविपक्वकषायाणां दुर्दर्शोऽहं कुयोगिनाम् ॥ २१ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
हे नारद [भगवान् ने कहा], मैं इस बात से दुखी हूँ कि इस जन्मकाल में तुम मुझे फिर नहीं देख पाओगे। जिनकी सेवा अपूर्ण है और जो समस्त भौतिक दागों से पूर्ण रूप से मुक्त नहीं हैं, उनके लिए मुझे देख पाना अत्यंत कठिन है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.