श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 6: नारद तथा व्यासदेव का संवाद  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  1.6.11 
 
 
स्फीताञ्जनपदांस्तत्र पुरग्रामव्रजाकरान् ।
खेटखर्वटवाटीश्च वनान्युपवनानि च ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  प्रस्थान के बाद मैं अनेक संपन्न नगरों, शहरों, गाँवों, पशुपालन क्षेत्रों, खानों, खेतों, घाटियों, फूलों के बगीचों, पौधशालाओं और प्राकृतिक जंगलों से होकर गुजरा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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