श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 5: नारद द्वारा व्यासदेव को श्रीमद्भागवत के विषय में आदेश  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  1.5.39 
 
 
इमं स्वनिगमं ब्रह्मन्नवेत्य मदनुष्ठितम् ।
अदान्मे ज्ञानमैश्वर्यं स्वस्मिन् भावं च केशव: ॥ ३९ ॥
 
अनुवाद
 
  हे ब्राह्मण, सर्वप्रथम भगवान् श्री कृष्ण ने मुझे वेदों के सबसे गुह्यतम भागों में निहित भगवान् के दिव्य ज्ञान से युक्त किया, फिर आध्यात्मिक ऐश्वर्य प्रदान किया और उसके बाद अपनी अंतरंग प्रेममयी सेवा का वरदान दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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