श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 5: नारद द्वारा व्यासदेव को श्रीमद्भागवत के विषय में आदेश  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  1.5.22 
 
 
इदं हि पुंसस्तपस: श्रुतस्य वा
स्विष्टस्य सूक्तस्य च बुद्धिदत्तयो: ।
अविच्युतोऽर्थ: कविभिर्निरूपितो
यदुत्तमश्लोकगुणानुवर्णनम् ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  विद्वानों के विचार से, तप, वेद-अध्ययन, यज्ञ, दान और प्रार्थना का प्रमुख उद्देश्य भगवान के दिव्य गुणों और लीलाओं का वर्णन करना है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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