दूसरी ओर, जो साहित्य असीम परमेश्वर के नाम, यश, रूपों और लीलाओं की दिव्य महिमा से भरा है, वह एक अलग ही रचना है। यह दिव्य शब्दों से भरा हुआ है जिसका उद्देश्य इस संसार की गुमराह सभ्यता के अपवित्र जीवन में क्रांति लाना है। ऐसा दिव्य साहित्य, चाहे वह ठीक से न भी रचा हुआ हो, ऐसे पवित्र लोगों द्वारा सुना, गाया और स्वीकार किया जाता है जो नितांत ईमानदार होते हैं।