श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 4: श्री नारद का प्राकट्य  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  1.4.8 
 
 
स गोदोहनमात्रं हि गृहेषु गृहमेधिनाम् ।
अवेक्षते महाभागस्तीर्थीकुर्वंस्तदाश्रमम् ॥ ८ ॥
 
अनुवाद
 
  वे (शुकदेव गोस्वामी) किसी गृहस्थ के द्वार पर इतनी देर ठहरते जितनी देर में एक गाय को दुहा जा सके। और वे यह इसलिए करते ताकि उस घर को पवित्र किया जाए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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