स्त्रीशूद्रद्विजबन्धूनां त्रयी न श्रुतिगोचरा ।
कर्मश्रेयसि मूढानां श्रेय एवं भवेदिह ।
इति भारतमाख्यानं कृपया मुनिना कृतम् ॥ २५ ॥
अनुवाद
महान ऋषि ने करुणा के वश होकर यह उचित समझा कि यह मनुष्यों को जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता करेगा। इसलिए, उन्होंने स्त्रियों, श्रमिकों और द्विज-बन्धुओं के लिए महाभारत नामक महान ऐतिहासिक कहानी का संकलन किया।