श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 4: श्री नारद का प्राकट्य  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  1.4.21 
 
 
तत्रर्ग्वेदधर: पैल: सामगो जैमिनि: कवि: ।
वैशम्पायन एवैको निष्णातो यजुषामुत ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  वेदों के चार खंड बन जाने के पश्चात, पैल ऋषि ऋग्वेद के अध्यापक बने और जैमिनि सामवेद के। एकमात्र वैशम्पायन ही यजुर्वेद के कारण यशस्वी हुये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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