श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 4: श्री नारद का प्राकट्य  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  1.4.11 
 
 
नमन्ति यत्पादनिकेतमात्मन:
शिवायहानीय धनानि शत्रव: ।
कथं स वीर: श्रियमङ्ग दुस्त्यजां
युवैषतोत्स्रष्टुमहो सहासुभि: ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  वे एक ऐसे महान बादशाह थे जिसके आगे सारे दुश्मन सिर झुकाते थे और अपना भला होने के लिए अपनी सारी दौलत उनको समर्पित कर देते थे। वे जवान थे और उनमें बहुत शक्ति थी, साथ ही उनके पास शाही वैभव था जिसे छोड़ना बहुत मुश्किल था। तो फिर वे अपना सर्वस्व, यहाँ तक कि अपनी जान भी, क्यों त्यागना चाहते थे?
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.