वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 1: सृष्टि
»
अध्याय 3: समस्त अवतारों के स्रोत : कृष्ण
»
श्लोक 43
श्लोक
1.3.43
कृष्णे स्वधामोपगते धर्मज्ञानादिभि: सह ।
कलौ नष्टदृशामेष पुराणार्कोऽधुनोदित: ॥ ४३ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
यह भागवत पुराण सूर्य के समान तेजस्वी है और यह भगवान कृष्ण के अपने धाम जाने के बाद ही प्रकट हुआ, जो धर्म, ज्ञान आदि के साथ गए थे। जिन लोगों ने कलियुग की घोर अज्ञानता के कारण अपनी दृष्टि खो दी है, उन्हें इस पुराण से प्रकाश मिलेगा।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.