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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 1: सृष्टि
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अध्याय 3: समस्त अवतारों के स्रोत : कृष्ण
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श्लोक 38
श्लोक
1.3.38
स वेद धातु: पदवीं परस्य
दुरन्तवीर्यस्य रथाङ्गपाणे: ।
योऽमायया सन्ततयानुवृत्त्या
भजेत तत्पादसरोजगन्धम् ॥ ३८ ॥
अनुवाद
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केवल वे ही संसार के रचयिता की पूर्ण महिमा, शक्ति और दिव्यता को समझ सकते हैं जो अपने हाथों में रथ का चक्र धारण करने वाले भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में बिना हिचकिचाहट और बिना किसी बाधा के अनुकूल सेवा करते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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