श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 3: समस्त अवतारों के स्रोत : कृष्ण  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  1.3.28 
 
 
एते चांशकला: पुंस: कृष्णस्तु भगवान् स्वयम् ।
इन्द्रारिव्याकुलं लोकं मृडयन्ति युगे युगे ॥ २८ ॥
 
अनुवाद
 
  उपरोक्त सभी अवतार या तो भगवान के पूर्ण अंश या पूर्ण अंश के भाग (कलाएं) हैं, लेकिन श्री कृष्ण तो मूल पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान हैं। जब भी नास्तिकों द्वारा उपद्रव होता है तो वे सभी ग्रहों पर प्रकट होते हैं। भगवान आस्तिकों की रक्षा करने के लिए अवतरित होते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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