तत: सप्तदशे जात: सत्यवत्यां पराशरात् ।
चक्रे वेदतरो: शाखा दृष्ट्वा पुंसोऽल्पमेधस: ॥ २१ ॥
अनुवाद
तदुपरांत सत्रहवें अवतार में पराशर मुनि के माध्यम से सत्यवती के गर्भ से श्री व्यासदेव प्रगट हुए। उन्होंने देखा कि आम लोग कम बुद्धिमान हैं, इसलिए उन्होंने एक ही वेद को अनेक शाखाओं और उप-शाखाओं में विभक्त कर दिया।