श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 3: समस्त अवतारों के स्रोत : कृष्ण  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  1.3.2 
 
 
यस्याम्भसि शयानस्य योगनिद्रां वितन्वत: ।
नाभिह्रदाम्बुजादासीद्ब्रह्मा विश्वसृजां पति: ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  पुरुष का एक अंश ब्रह्माण्ड के जल में लेटा हुआ है। उनके शरीर के नाभि-कमल से एक कमलनाल निकला है और इस कमलनाल के ऊपर खिले कमल के फूल से ब्रह्माण्ड के सभी शिल्पियों के स्वामी ब्रह्मा प्रकट हुए हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.