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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 1: सृष्टि
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अध्याय 3: समस्त अवतारों के स्रोत : कृष्ण
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श्लोक 18
श्लोक
1.3.18
चतुर्दशं नारसिंहं बिभ्रद्दैत्येन्द्रमूर्जितम् ।
ददार करजैरूरावेरकां कटकृद्यथा ॥ १८ ॥
अनुवाद
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चौदहवें अवतार में, भगवान नृसिंह के रूप में प्रकट हुए और अपने नाखूनों से नास्तिक हिरण्यकश्यप के मज़बूत शरीर को उसी तरह चीर डाला जैसे एक बढ़ई बेंत को चीरता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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