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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 1: सृष्टि
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अध्याय 3: समस्त अवतारों के स्रोत : कृष्ण
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श्लोक 16
श्लोक
1.3.16
सुरासुराणामुदधिं मथ्नतां मन्दराचलम् ।
दध्रे कमठरूपेण पृष्ठ एकादशे विभु: ॥ १६ ॥
अनुवाद
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भगवान का ग्यारहवाँ अवतार एक कच्छप के रूप में हुआ, जिसकी पीठ पर आस्तिकों और नास्तिकों ने मंथन के लिए मंदराचल पर्वत को रखा था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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