ऋषिभिर्याचितो भेजे नवमं पार्थिवं वपु: ।
दुग्धेमामोषधीर्विप्रास्तेनायं स उशत्तम: ॥ १४ ॥
अनुवाद
हे ब्राह्मणों, जब मुनियों ने प्रार्थना की, तब भगवान ने नौवें अवतार में राजा (पृथु) का शरीर धारण किया। राजा पृथु ने पृथ्वी पर खेती की और विविध उपजें प्राप्त कीं। इससे पृथ्वी सुंदर और आकर्षक हो गई।