श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 2: दिव्यता तथा दिव्य सेवा  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  1.2.15 
 
 
यदनुध्यासिना युक्ता: कर्मग्रन्थिनिबन्धनम् ।
छिन्दन्ति कोविदास्तस्य को न कुर्यात्कथारतिम् ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान के स्वरूप को याद करके, बुद्धिमान लोग हाथ में तलवार लेकर कर्मबंधों को काट देते हैं। अतः कौन सा ऐसा व्यक्ति होगा जो उनके संदेश पर ध्यान नहीं देगा?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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