श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 2: दिव्यता तथा दिव्य सेवा  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  1.2.13 
 
 
अत: पुम्भिर्द्विजश्रेष्ठा वर्णाश्रमविभागश: ।
स्वनुष्ठितस्य धर्मस्य संसिद्धिर्हरितोषणम् ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  अत: हे उत्तम ब्राह्मण, यह निष्कर्ष निकलता है कि वर्ण एवं आश्रम के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करने से जो परम सिद्धि प्राप्त की जा सकती है, वह है भगवान को प्रसन्न करना।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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