अद्यैव राज्यं बलमृद्धकोशं
प्रकोपितब्रह्मकुलानलो मे ।
दहत्वभद्रस्य पुनर्न मेऽभूत्
पापीयसी धीर्द्विजदेवगोभ्य: ॥ ३ ॥
अनुवाद
मैंने ब्राह्मण संस्कृति, ईश्वर की चेतना और गायों की रक्षा के प्रति उपेक्षा बरती है जिससे मैं असभ्य और पापी हो गया हूँ। इसलिए मैं चाहता हूँ कि मेरा राज्य, मेरी शक्ति और मेरा धन तुरंत ब्राह्मण के क्रोध की अग्नि में जल जाए, ताकि भविष्य में ऐसे अशुभ विचारों से मेरा मार्गदर्शन न हो।