किं नु बालेषु शूरेण कलिना धीरभीरुणा ।
अप्रमत्त: प्रमत्तेषु यो वृको नृषु वर्तते ॥ ८ ॥
अनुवाद
महाराज परीक्षित ने सोचा कि कम बुद्धि वाले लोग कलि को बहुत शक्तिशाली मान सकते हैं, लेकिन जो लोग आत्म-संयमी हैं, उन्हें किसी भी तरह का डर नहीं है। राजा बाघ के समान शक्तिशाली थे और मूर्ख एवं लापरवाह लोगों की रक्षा करते थे।