श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 18: ब्राह्मण बालक द्वारा महाराज परीक्षित को शाप  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  1.18.42 
 
 
न वै नृभिर्नरदेवं पराख्यं
सम्मातुमर्हस्यविपक्‍वबुद्धे ।
यत्तेजसा दुर्विषहेण गुप्ता
विन्दन्ति भद्राण्यकुतोभया: प्रजा: ॥ ४२ ॥
 
अनुवाद
 
  हे बेटा, तेरी बुद्धि अभी कच्ची है, इसलिए तू नहीं जानता कि राजा, जो मनुष्यों में सबसे श्रेष्ठ होता है, ईश्वर के समान होता है। उसकी तुलना कभी भी सामान्य लोगों से नहीं करनी चाहिए। उसके राज्य के नागरिक उसके अपराजेय पराक्रम से सुरक्षित रहते हुए समृद्धिपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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