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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 1: सृष्टि
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अध्याय 18: ब्राह्मण बालक द्वारा महाराज परीक्षित को शाप
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श्लोक 39
श्लोक
1.18.39
स वा आङ्गिरसो ब्रह्मन् श्रुत्वा सुतविलापनम् ।
उन्मील्य शनकैर्नेत्रे दृष्ट्वा चांसे मृतोरगम् ॥ ३९ ॥
अनुवाद
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हे ब्राह्मणो, अंगिरा ऋषि कुल में जन्मे उस ऋषि ने अपने पुत्र का क्रंदन सुनकर आहिस्ता आहिस्ता अपनी आँखें खोलीं और अपनी गले के आस पास मरा हुआ साँप देखा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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