अथापि यत्पादनखावसृष्टं
जगद्विरिञ्चोपहृतार्हणाम्भ: ।
सेशं पुनात्यन्यतमो मुकुन्दात्
को नाम लोके भगवत्पदार्थ: ॥ २१ ॥
अनुवाद
भगवान श्रीकृष्ण के अतिरिक्त कौन परमेश्वर कहलाने योग्य है? ब्रह्माजी ने उनके पाँव के नाखूनों से निकलनेवाले जल को इकट्ठा करके भगवान शिवजी के मस्तक पर लगाने के लिए दिया। यही जल (गंगानदी) सारे ब्रह्मांड को, यहाँ तक कि भगवान शिव को भी शुद्ध कर रहा है।