श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 17: कलि को दण्ड तथा पुरस्कार  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  1.17.7 
 
 
त्वं वा मृणालधवल: पादैर्न्यून: पदा चरन् ।
वृषरूपेण किं कश्चिद् देवो न: परिखेदयन् ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  तब उन्होंने (महाराज परीक्षित ने) बैल से पूछा: अरे, तुम कौन हो? क्या तुम श्वेत कमल जैसा धवल बैल हो या कोई देवता हो? तुम अपने तीन पैर क्यों खो बैठे हो और केवल एक पैर पर क्यों चल रहे हो? क्या तुम बैल का रूप धरे कोई देवता हो, जो हमें इस तरह कष्ट पहुँचा रहे हो?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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