त्वं वा मृणालधवल: पादैर्न्यून: पदा चरन् ।
वृषरूपेण किं कश्चिद् देवो न: परिखेदयन् ॥ ७ ॥
अनुवाद
तब उन्होंने (महाराज परीक्षित ने) बैल से पूछा: अरे, तुम कौन हो? क्या तुम श्वेत कमल जैसा धवल बैल हो या कोई देवता हो? तुम अपने तीन पैर क्यों खो बैठे हो और केवल एक पैर पर क्यों चल रहे हो? क्या तुम बैल का रूप धरे कोई देवता हो, जो हमें इस तरह कष्ट पहुँचा रहे हो?