अथैतानि न सेवेत बुभूषु: पुरुष: क्वचित् ।
विशेषतो धर्मशीलो राजा लोकपतिर्गुरु: ॥ ४१ ॥
अनुवाद
अतएव, विशेष रूप से राजा, धर्म उपदेशक, लोक नेता, ब्राह्मण तथा संन्यासी जो अपनी भलाई चाहते हैं, उन्हें उपर्युक्त चार अधार्मिक कार्यों के सम्पर्क में कभी नहीं आना चाहिए।