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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 1: सृष्टि
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अध्याय 17: कलि को दण्ड तथा पुरस्कार
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श्लोक 4
श्लोक
1.17.4
पप्रच्छ रथमारूढ: कार्तस्वरपरिच्छदम् ।
मेघगम्भीरया वाचा समारोपितकार्मुक: ॥ ४ ॥
अनुवाद
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धनुष-बाण से सुसज्जित तथा सोने से जड़ित रथ पर बैठे, महाराज परीक्षित ने उससे (शूद्र से) बादलों जैसी गड़गड़ाहट करने वाली गंभीर वाणी में कहा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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