राजोवाच
न ते गुडाकेशयशोधराणां
बद्धाञ्जलेर्वै भयमस्ति किञ्चित् ।
न वर्तितव्यं भवता कथञ्चन
क्षेत्रे मदीये त्वमधर्मबन्धु: ॥ ३१ ॥
अनुवाद
राजा बोले : हम अर्जुन की कीर्ति के उत्तराधिकारी हैं, और तुमने हाथ जोड़कर आत्मसमर्पण कर दिया है, इसलिए तुम्हारा जीवन सुरक्षित है। परंतु तुम मेरे राज्य में नहीं रह सकते क्योंकि तुम अधर्म के सहयोगी हो।