श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 17: कलि को दण्ड तथा पुरस्कार  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  1.17.29 
 
 
तं जिघांसुमभिप्रेत्य विहाय नृपलाञ्छनम् ।
तत्पादमूलं शिरसा समगाद् भयविह्वल: ॥ २९ ॥
 
अनुवाद
 
  जब कलि ने समझ गया कि राजा उसे मारना चाहता है, तो उसने तुरंत राजा का पहनावा त्याग दिया और डर के मारे अपना सिर नीचा कर लिया और पूरी तरह से उसके सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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