क्षुद्रायुषां नृणामङ्ग मर्त्यानामृतमिच्छताम् ।
इहोपहूतो भगवान्मृत्यु: शामित्रकर्मणि ॥ ७ ॥
अनुवाद
हे सूत गोस्वामी, मनुष्यों में कुछ ऐसे होते हैं जो मृत्यु से मुक्ति और अनंत जीवन पाने के इच्छुक होते हैं। वे मृत्यु के नियंत्रक यमराज को बुलाकर वध की प्रक्रिया से बच जाते हैं।