श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 16: परीक्षित ने कलियुग का सत्कार किस तरह किया  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  1.16.6 
 
 
अथवास्य पदाम्भोजमकरन्दलिहां सताम् ।
किमन्यैरसदालापैरायुषो यदसद्व्यय: ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान के भक्त भगवद चरणों से प्राप्त रसपान में लीन रहते हैं। उन कथा प्रसंगों से क्या लाभ जो व्यर्थ में मनुष्य के जीवन को नष्ट करते हैं?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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