श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 15: पाण्डवों की सामयिक निवृत्ति  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  1.15.6 
 
 
यस्य क्षणवियोगेन लोको ह्यप्रियदर्शन: ।
उक्थेन रहितो ह्येष मृतक: प्रोच्यते यथा ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  मैंने अभी-अभी उन्हें खो दिया है, जिनकी थोड़ी देर की बिछुड़न से सभी ब्रह्मांड प्रतिकूल और शून्य हो जाएंगे, जैसे शरीर बिना आत्मा के।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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