युधिष्ठिरस्तत्परिसर्पणं बुध:
पुरे च राष्ट्रे च गृहे तथात्मनि ।
विभाव्य लोभानृतजिह्महिंसना-
द्यधर्मचक्रं गमनाय पर्यधात् ॥ ३७ ॥
अनुवाद
महाराज युधिष्ठिर अत्यंत बुद्धिमान थे, जो कलियुग के प्रभाव को समझ गए थे। कलियुग के विशेष लक्षण थे: बढ़ता लोभ, झूठ बोलना, धोखाधड़ी करना और संपूर्ण राजधानी, राज्य, घर और व्यक्तियों में हिंसा बढ़ना। इसलिए उन्होंने घर छोड़ने की तैयारी की और उसी के अनुसार वस्त्र धारण किए।