श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 15: पाण्डवों की सामयिक निवृत्ति  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  1.15.29 
 
 
वासुदेवाङ्घ्र्यनुध्यानपरिबृंहितरंहसा ।
भक्त्या निर्मथिताशेषकषायधिषणोऽर्जुन: ॥ २९ ॥
 
अनुवाद
 
  अर्जुन द्वारा भगवान् श्रीकृष्ण के चरणकमलों का निरंतर स्मरण करने से उनकी भक्ति में तेजी से वृद्धि हुई, जिसके परिणामस्वरूप उनके विचारों में मौजूद सारी नकारात्मकता दूर हो गई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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