वासुदेवाङ्घ्र्यनुध्यानपरिबृंहितरंहसा ।
भक्त्या निर्मथिताशेषकषायधिषणोऽर्जुन: ॥ २९ ॥
अनुवाद
अर्जुन द्वारा भगवान् श्रीकृष्ण के चरणकमलों का निरंतर स्मरण करने से उनकी भक्ति में तेजी से वृद्धि हुई, जिसके परिणामस्वरूप उनके विचारों में मौजूद सारी नकारात्मकता दूर हो गई।