श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 15: पाण्डवों की सामयिक निवृत्ति  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  1.15.16 
 
 
यद्दो:षु मा प्रणिहितं गुरुभीष्मकर्ण-
नप्तृत्रिगर्तशल्यसैन्धवबाह्लिकाद्यै: ।
अस्‍त्राण्यमोघमहिमानि निरूपितानि
नोपस्पृशुर्नृहरिदासमिवासुराणि ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  भीष्म, द्रोण, कर्ण, भूरिश्रवा, सुशर्मा, शल्य, जयद्रथ और बाह्लिक जैसे महान सेनापति, उनके अचूक हथियारों से मुझ पर वार करके भी ज़रा सी खरोंच नहीं कर पाए, क्योंकि भगवान कृष्ण की कृपा मुझ पर थी। ठीक उसी तरह प्रह्लाद महाराज जो भगवान नृसिंहदेव की सर्वोच्च भक्ति करने वाले थे, उनके विरुद्ध असुरों ने जो भी हथियारों का इस्तेमाल किया, उन सबका उन पर कोई असर नहीं हुआ था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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