श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 14: भगवान् श्रीकृष्ण का अन्तर्धान होना  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  1.14.42 
 
 
कच्चित्त्वं नागमोऽगम्यां गम्यां वासत्कृतां स्त्रियम् ।
पराजितो वाथ भवान्नोत्तमैर्नासमै: पथि ॥ ४२ ॥
 
अनुवाद
 
  क्या तुमने बदचलन स्त्री से संबंध बनाए हैं या एक भली स्त्री के साथ उचित व्यवहार नहीं किया है? या तुम्हें रास्ते में किसी ऐसे व्यक्ति ने हराया है जो तुम्हारे बराबर या तुमसे कम दर्जे का है?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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