श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 14: भगवान् श्रीकृष्ण का अन्तर्धान होना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  1.14.16 
 
 
वायुर्वाति खरस्पर्शो रजसा विसृजंस्तम: ।
असृग् वर्षन्ति जलदा बीभत्समिव सर्वत: ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  हवा तीव्र गति से चल रही है, हर जगह धूल उड़ा रही है और अंधेरा छा रहा है। बादल हर जगह खूनी आपदाओं की बारिश कर रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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