श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 13: धृतराष्ट्र द्वारा गृह-त्याग  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  1.13.9 
 
 
कया वृत्त्या वर्तितं वश्चरद्भ‍ि: क्षितिमण्डलम् ।
तीर्थानि क्षेत्रमुख्यानि सेवितानीह भूतले ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  पृथ्वी पर अपने प्रवास के दौरान, आपने अपने जीवनयापन का निर्वाह कैसे किया? आपने किन पुण्य स्थलों एवं तीर्थस्थलों पर अपनी सेवाएँ अर्पित कीं?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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