श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 13: धृतराष्ट्र द्वारा गृह-त्याग  »  श्लोक 57
 
 
श्लोक  1.13.57 
 
 
स वा अद्यतनाद् राजन् परत: पञ्चमेऽहनि ।
कलेवरं हास्यति स्वं तच्च भस्मीभविष्यति ॥ ५७ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन्, सम्भवतः आज से पाँचवें दिन वे अपना शरीर त्याग देंगे और उनका शरीर भस्म हो जाएगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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