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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 1: सृष्टि
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अध्याय 13: धृतराष्ट्र द्वारा गृह-त्याग
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श्लोक 48
श्लोक
1.13.48
तदिदं भगवान् राजन्नेक आत्मात्मनां स्वदृक् ।
अन्तरोऽनन्तरो भाति पश्य तं माययोरुधा ॥ ४८ ॥
अनुवाद
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अतः हे राजन्, तुम्हें एकमात्र परमेश्वर की शरण लेनी चाहिए, जो अद्वितीय हैं और जो विभिन्न शक्तियों से साक्षात् प्रकट होते हैं और भीतर तथा बाहर दोनों में हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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